कम्‍युनिकेशन मेथड क्‍या है What are Communication Methods in Hindi

कम्‍युनिकेशन मेथड क्‍या है What are Communication Methods in Hindi 

Communication Method क्‍या है

Internet of Things 

इंटरनेट के बारे में तो सभी जानते हैं पर ये Internet of Things क्या है जब कंप्यूटर, मोबाइल फोन, या टैबलेट को इंटरनेट से कनेक्ट किया जाता है तो इंटरनेट के जरिए दुनिया भर के कंप्यूटर, प्रिंटर और मशीन जुड जाती है, इंटरनेट की मदद से ऑनलाइन शॉपिंग कर सकते हैं, बैंकिंग ट्रांजेक्शन कर सकते हैं इत्यादि और भी बहुत से काम आसानी से कर सकते हैं

इंटरनेट आने के बाद यह सोचा गया कि क्या आसपास की चीजों को भी इंटरनेट से जोड़ा जा सकता है जैसे कार, घडी, लाइट, टीवी इत्‍यादि, जब कार एक बार इंटरनेट से कनेक्‍ट हो जाती है तो उसका फ्यूल मीटर, स्पीड और लोकेशन को ट्रैक किया जा सकता है इसमें मोबाइल से हर तरह के इलेक्ट्रिक एप्लाइंस को कनेक्ट कर सकते हैं

रोजमर्रा की चीजों को लेना उनमें इलैक्टिॉनिक्‍स, सॉफ्टवेयर या सेंसर को डालना और फिर उन्हें इंटरनेट के साथ जोड़ देना ताकि वह बिना डाटा को कलेक्ट किए जा सकें और रिसीव किए जा सकें इसी को इंटरनेट ऑफ थिंग कहा जाता है

आईओटी का इतिहास History of IOT

इसका सबसे पहली बार नाम केबिन एस्ट्रॉन के द्वारा सन् 1999 में एक प्रेजेंटेशन में दिया गया था पर उससे भी पहले जब इंटरनेट की खोज की गई थी सन् 1882 में कार्नेगी मेलन रिसर्चर ने एक बैन्डिग मशीन को इंटरनेट से जोड़ा जो बता सकती थी कि सोडा ठंडा है या नहीं, सन् 1990 में सबसे पहली बार इंटरनेट के जरिए एक ब्रेड टोस्टर को चलाया गया था, सन् 2000 में एलजी कंपनी ने पहली बार एक स्मार्ट फ्रिज को लॉन्च किया था

इसी तरह से और भी आइटमों को इंटरनेट के जरिए जोडा गया था सन् 2015 में टेस्ला कार ऑटो पायलट फीचर के साथ आयी थी, आईओटी के सेंसर और डिवाइस जैसे-जैसे सस्ते होते जा रहे हैं वैसे-वैसे इनकी मांग बढ़ती जा रही है

आईओटी के कंपोनेट्स Components of IOT

IOT को इंप्लीमेंट करने के लिए चार कंपोनेंट होते हैं
  1. Sensors - ये एक ऐसा डिवाइस है जो वातावरण से फिजिकल इनपुट को ले सकता है और उसे डाटा में कन्वर्ट कर सकता है जिससे कंप्यूटर के द्वारा पढा जा सकें, ये सेंसर आमतौर पर माइक्रोप्रोसेसर के साथ जुड़े होते हैं ताकि वह डाटा को कलेक्‍ट करके इंटरनेट के माध्‍यम से कहीं भी भेजे जा सकें
  2. Connectivity - IOT में कई तरह की टेक्‍नोलॉजी का उपयोग होता है इनका सलेक्‍शन डिवाइस की रेंज, पावर यूज, डाटा आदि के आधार पर सही कनेक्‍ट वीटी का सिलेक्शन किया जाता है, इसमें सेंसर डाटा को इंटरनेट के माध्‍यम से एक क्‍लाउड इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर में भेजा जाता है
  3. Data Processing - इसमें कंप्यूटर के रॉ डाटा को इंफॉर्मेशन में बदला जाता है जिससे कि उसे आसानी से समझा जा सकें, यह मैन्‍युपियुलेशन के माध्‍यम से किया जाता है, ये डाटा प्रोसेसिंग कॉप्स भी हो सकता है जैसे कि वीडियो फिल्म में से कार के नंबर प्‍लेट को पढ़ना इसमें डाटा को क्वालीफाई भी किया जा सकता है और डाटा को एनालिटिकल भी किया जा सकता है
  4. User Interface - कंप्यूटर जो इंफॉर्मेशन को प्रोसेस करता है उसे अलग-अलग रूप में देख सकते हैं जैसे कि एक ऐप जो अलार्म फिगर कर सकती है या नोटिफाई कर सकती है कंप्यूटर यूजर को लाइव फीड भी दिखा सकता है

आईओटी के फायदे Advantages of IOT

  1. इसकी वजह से शारीरिक मेहनत कम हो जाती है और समय की भी बचत होती है
  2. आने वाले समय में ऐसे और भी डिवाइस आएंगे जो हर काम को खुद कर देंगे 
  3. IOT से टेक्‍नोलॉजी और ज्यादा बेहतर होती जा रही है जैसे बिना ड्राइवर की कार होती है

आईओटी के नुकसान Disadvantages of IOT

  1. इसमें जरूरी डाटा को सुरक्षित रखना सबसे बडी समस्या है
  2. इसमें इंटरनेट के द्वारा वायरस अटैक हो सकते हैं क्योंकि इसमें सारा पर्सनल डाटा इंटरनेट पर भेजा जाता है जिससे प्राइवेसी को Maintain करना भी मुश्किल हो जाता है

आईओटी के एप्‍लीकेशन Application of IOT

  1. हेल्‍थकेयर के क्षेत्र में अभी के समय में बायो सेंसर और बहुत से डिवाइस आ गए है जो कहीं भी हार्ड ब्रैक, ब्लड प्रेशर आदि चेक कर सकते हैं और डॉक्टर को एलर्ट भी कर सकते हैं
  2. कृषि के क्षेत्र में ड्रोन के माध्‍यम से फसल की पूरी निगरानी रखी जा सकती है मॉइस्चर और मिट्टी के सेंसरों के द्वारा पानी की बचत कर सकते हैं और मिट्टी का संतुलन बना सकते हैं
  3. घरों और बिल्डिंग को स्मार्ट बनाने के लिए भी IOT का उपयोग होता है
Machine to Human Communication

मशीन टू ह्यूमन कम्‍युनिकेशन Machine to Human Communication 

इसे HMI भी कहा जाता है और इसका पूरा नाम ह्यूमन मशीन इंटरफेस है,ये एक ऐसा डिवाइस  है जिसके जरिए एक यूजर मशीन के साथ कम्यूनिकेट करता है मतलब मशीन के अंदर क्या चल रहा है ये सब वो आसानी से देख पाता है, इसमें यूजर अपनी सुविधा के अनुसार मशीन को कोई भी कमांड दे सकता है

HMI के माध्‍यम से यूजर को क्या चाहिए ये जानकारी मशीन तक पहुंचती है और यूजर को क्या चाहिए ये जानकारी भी यूजर तक एचएमआई के माध्‍यम से पहुंचती है, उदाहरण ले सकते हैं जैसे घरों में एसी होते हैं हर एसी में एक ऑपरेटर पैनल होता है, एसी में कितना टेंपरेचर है वो डिस्प्ले हो जाता है अगर टेंपरेचर को कम या ज्यादा करना है तो वहां पर बटन लगे होते हैं उनको प्रेस करके टेंपरेचर को कम या ज्यादा आसानी से कर सकते हैं तो इस तरीके से HMI के माध्‍यम से कंट्रोल किया जा सकता है

HMI बिल्कुल कंप्यूटर के मॉनिटर के समान एक डिवाइस होता है या एटीएम तो सभी ने देखा होगा ये बिल्कुल एटीएम के डिस्प्ले के जैसे होता है, जैसे बैंक के अकाउंट में कितना पैसा है वहां डिस्प्ले पर देख सकते हैं उसी प्रकार HMI के माध्‍यम से मशीन को कंट्रोल कर सकते हैं, HMI से प्रोडक्शन को ट्रैक कर सकते हैं जिससे यह पता चल जाता है कि कितना काम पूरा हो चुका है

HMI किसी भी समस्या को ढूंढने में एक इंजीनियर की या एक टेक्नीशियन की बहुत ज्यादा मदद करती है HMI पर पीएलसी के इनपुट और आउटपुट को आसानी से देख सकते हैं, HMI किसी भी इंजीनियर के लिए बहुत ही ज्यादा उपयोगी होती है

मशीन टू मशीन कम्‍युनिकेशन Machine to Machine Communication 

ये एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जो किसी भी नेटवर्क डिवाइस को इंफॉर्मेशन को एक्‍सेस करने में मदद करती है और किसी भी काम को बिना किसी मनुष्य की मदद के पूरा कर सकती है, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग किसी भी सिस्टम को बात करने की Facility देती है जिससे वो सिस्‍टम आसानी से अपनी मर्जी से किसी भी तरीके से कनेक्‍ट हो जाता है

इस टेक्नोलॉजी को सबसे पहली बार मैन्‍युफैक्‍चरिंग और इंडस्‍ट्रीज में इस्तेमाल किया गया था वही अगर दूसरी टेक्‍नोलॉजी की बात करें जैसे SCADA या रिमोट मॉनिटरिंग तो ये सभी डाटा को मेंटेन करने के लिए या डाटा को कंट्रोल करने के लिए किए जाते थे, अभी के समय में इस एम 2 एम का इस्तेमाल बहुत से फील्ड में किया जा रहा है जैसे हेल्‍थकेयर, व्यापार इत्यादि, एम 2 एम को IOT का निर्माणक भी बोल सकते हैं

एम 2 एम के माध्‍यम से किसी डाटा को सेंसर से नेटवर्क में ट्रांसमिट किया जाता है, एम 2 एम सिस्टम कभी-कभी पब्लिक सिस्टम का भी इस्तेमाल करता है और एक्सेस मेथड को भी इस्तेमाल करता है जैसे सेल्यूलर नेटवर्क, या इथरनेंट हुआ जिससे यह टेक्‍नोलॉजी Cost Effective बन जाती है

एम 2 एम के मुख्य कंपोनेंट हैं जिनमें सेंसर, आरएफआईडी, वाईफाई या सेल्यूलर लिंक होता है ये सारे किसी भी नेटवर्क डिवाइस की मदद करते हैं, ये किसी भी डाटा को Interrupt कर सकता है और डिसीजन ले सकता है, एम 2 एम एप्लिकेशन किसी भी डाटा को एक लैंग्वेज को दूसरी लैंग्वेज में ट्रांसलेट करते हैं

अभी के समय में सबसे मुख्‍य एम 2 एम कंम्‍युनिकेशन टेलिमेंट्री है जिसका इस्तेमाल बहुत समय पहले से किया जा रहा है इसका काम किसी भी ऑपरेशनल डाटा को ट्रांसमिट करने का होता है, टेलिमेट्री को सबसे पहली बार टेलीफोन में इस्तेमाल किया गया था

इंटरनेट और दूसरी वायरलेस टेक्नोलॉजी ने टेलिमेट्री को और ज्यादा बढ़ावा दिया है जिसकी मदद से इसका इस्तेमाल रोजमर्रा की लाइफ में भी किया जा सकता है जैसे इलेक्ट्रिक यूनिट, इंटरनेट कनेक्टिग डिवाइस इत्यादि में इसका इस्तेमाल किया जाता है

मशीन टू मशीन के एप्‍लीकेशन Application of Machine to Machine

  1. मशीन 2 मशीन का इस्तेमाल किसी भी प्रोडक्ट को रिस्‍टोकिंग करने के काम में आता है जिसे आसानी से मॉनिटरिंग भी कर सकते हैं उदाहरण ले सकते हैं जैसे अगर कोई वेडिंग मशीन है जिसमें अगर कोई सामान कम हो गया है या फिर खत्म हो गया है तो वेंडिंग मशीन डिस्ट्रीब्यूटर के नेटवर्क पर मैसेज कर सकते हैं जिससे उसे वो सामान मिल सकें और वो सामान को दोबारा से रिफिल कर सकें, एम2एम का सबसे ज्‍यादा इस्‍तेमाल वेयरहाउस मैनेजमेंट में किया जाता है
  2. अभी एम2एम का इस्तेमाल कई जगह किया जाता है जैसे मेडिकल में, कंपनियों में, सिक्योरिटी के लिए, ट्रैफिक को कंट्रोल करने के लिए इत्यादि और भी बहुत सी जगह पर इसका इस्तेमाल किया जाता है
आशा है Communication Methods के बारे में जो जानकारी आज आपको दी गई है वह आपको जरूर पसंद आई होगी अगर हां तो अपनी राय जरूर दें धन्‍यवाद 

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