कंप्यूटर की जनरेशन क्या है What is Computer Generation in Hindi
कुछ समय पहले तक जनरेशन का अर्थ कंप्यूटर की हार्डवेयर में बदलाव से होता था परंतु अभी के समय में जनरेशन का अर्थ कंप्यूटर के हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर से होता है कंप्यूटर की जनरेशन को मुख्य तौर पर 5 भागों में बांटा गया है, हर पीढ़ी के कंप्यूटरों को उनकी तकनीक के हिसाब से परिभाषित किया गया है
कंप्यूटर की जनरेशन क्या है What is Computer Generation in Hindi
प्रथम पीढ़ी First Generation ( 1942 - 1956)
प्रथम जनरेशन का समय 1942 से 1956 का था और इस जनरेशन के कंप्यूटर में इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट के रूप में वैक्यूम ट्यूब का इस्तेमाल किया गया था, इसके अलावा डाटा को स्टोर करने के लिए मैग्नेटिक ड्रम का इस्तेमाल किया जाता था, अगर वैक्यूम ट्यूब की बात की जाएं तो ये मेमोरी और सीपीयू के मुख्य कंपोनेंट थे
जब इन कंप्यूटरों पर काम किया जाता था तो ये बहुत जल्दी गर्म हो जाते थे क्योंकि इनके कंपोनेंट बहुत जल्दी गर्म हो जाते थे, इन कंप्यूटर का वजन लगभग 30 टन था और अगर साइज की बात करें तो वो लगभग 50*30 था जो लगभग एक कमरे के बराबर होता था, इनको बनाने के लिए 18000 वैक्यूम ट्यूब का इस्तेमाल किया गया था
इन कंप्यूटरों को जोड़ करने में लगभग 200 माइक्रो सेकेण्ड का समय लगता था और गुणा करने में 2000 माइक्रो सेकेण्ड का समय लगता था जो अभी के हिसाब से बहुत ज्यादा था, इन कंप्यूटरों को चलाने में बहुत ज्यादा बिजली का उपयोग होता था, इस पीढ़ी के कंप्यूटर Alternating Current (AC) पर चलते थे
इन कंप्यूटरों का मूल्य बहुत अधिक होता था, जब भी कोई व्यक्ति इन कंप्यूटरों पर काम करता था तो ये बहुत जल्दी गर्म हो जाते थे जिसकी वजह से इनको ठंडा करना बहुत जरूरी होता था, इनकी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के लिए मशीन लैग्वेज का इस्तेमाल किया गया था, अब ये सभी जानते है कि मशीन लैंग्वेज 0 और 1 रूप में काम करती है, इन कंप्यूटरों की स्पीड बहुत कम होती थी
पहली पीढ़ी के कंप्यूटर एक समय पर केवल एक ही समस्या को हल कर सकते थे जिसकी वजह से काम करने में बहुत ज्यादा समय लगता था, पहली जनरेशन में बहुत से कंप्यूटरों का निर्माण हुआ जैसे ENIAC, EDVAC, EDSAC इत्यादि, ये कंप्यूटर बहुत कम विश्वसनीय हुआ करते थे क्योंकि इनमें आउटपुट हमेशा गलत आता था
द्वितीय पीढ़ी Second Generation ( 1956 -1965)
द्वितीय पीढ़ी के कंप्यूटरों का समय 1956 से 1965 के बीच था, इनमें इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट के रूप में ट्रांजिस्टर का इस्तेमाल किया गया था, ट्रांजिस्टर एक सॉलिड स्टेट डिवाइस होता है जो एक सेमीकंडक्टर है, यहां ट्रांजिस्टर का काम भी वहीं है जो प्रथम जनरेशन में वैक्यूम ट्यूब का होता था
ट्रांजिस्टर का साइज वैक्यूम ट्यूब की तुलना में बहुत छोटा होता था और इस जनरेशन के कंप्यूटर चलने के लिए बहुत कम बिजली की खपत होती थी, अगर इनकी तुलना प्रथम जनरेशन से करें तो ये काम को काफी तेजी से करते थे, इस जनरेशन में मैग्नेटिक कोर्स को प्राइमरी मेमोरी की तरह इस्तेमाल किया गया था
मैग्नेटिक डिस्क और मैग्नेटिक टेप को सेकेण्डरी मेमोरी की तरह इस्तेमाल किया गया था, इस पीढ़ी में असेंबली और मशीन लैग्वेज को और ज्यादा आसान और ताकतवर बना दिया गया था, इसी दौर में प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का आविष्कार हुआ था जिनमें COBOT और FORTRAN नामक हाई लेवल लैंग्वेज थी
इस जनरेशन में कई प्रकार के कंप्यूटरों का निर्माण हुआ जैसे IBM 7030, HONEYBELL 400, CDC 1604 इत्यादि, अगर इनकी कीमत को देखें तो इनकी कीमत भी बहुत ज्यादा हुआ करती थी
तीसरी पीढ़ी Third Generation ( 1965 - 1975)
तीसरी जनरेशन का समय काल 1965 से 1975 का था, इस जनरेशन के कंप्यूटर में ट्रांजिस्टर की स्थान पर इंटिग्रेटेड सर्किट का इस्तेमाल किया गया था, सबसे पहली बार ट्रांजिस्टर के स्थान पर इंटिग्रेटेड सर्किट का इस्तेमाल Jack Kilby और Robert Noyce ने किया था, इंटिग्रेटेड सर्किट ट्रांजिस्टर, कैपेसिटर व रजिस्टर का समूह होता है, जिसके कारण कंप्यूटर के आकार को और छोटा बनाया गया, इंटिग्रेटेड सर्किट को आई सी चिप भी कहा जाता है
आई सी चिप सिलिकॉन की बनी होती है इसमें शुरुआत में 10 से 20 उपकरण आते थे जिससे इस तकनीक को स्माल स्केल इंटिग्रेशन कहा जाता था, बाद में धीमे-धीमे इसमें 100 उपकरणों को शामिल किया गया और फिर इसे मीडियम स्केल इंटीग्रेशन नाम दिया गया, इस जनरेशन में ज्यादा स्टोरेज वाली मैग्नेटिक टेप का इस्तेमाल किया जाता था ताकि इनकी स्टोरेज ज्यादा हो सकें, इस पीढ़ी के कंप्यूटर महंगे हुआ करते थे पर इनमें बिजली की खपत कम हुआ करती थी
इस पीढ़ी के कंप्यूटर में इनपुट और आउटपुट के लिए कीबोर्ड और मॉनिटर का इस्तेमाल किया गया था, इसी पीढ़ी में एम आई सी आर, प्लॉटर और स्कैनर का आविष्कार हुआ था, इसी पीढ़ी में मल्टी प्रोग्रामिंग ऑपरेटिंग सिस्टम को लाया गया था, इस पीढ़ी में कई हाई लेवल लैंग्वेज की शुरुआत हुई जैसे BASIC, PASCAL इत्यादि, इस जनरेशन में कई प्रकार के कंप्यूटरों का निर्माण हुआ जैसे IBM 360, IBM 370, CDC 6600, PDP 8, PDP 11, इस पीढ़ी के कंप्यूटर किसी भी काम को तेजी में किया करते थे
चौथी पीढ़ी Fourth Generation ( 1975 - 1989 )
इस पीढ़ी के कंप्यूटरों का समय 1975 से 1989 तक था, इस जनरेशन में माइक्रोप्रोसेसर की शुरुआत हुई जिनमें हजारों आई सी को केवल एक ही चिप पर लगा दिया जाता था, इस जनरेशन में लगभग 5000 हजार ट्रांजिस्टर को जोड़कर लार्ज स्केल इंटीग्रेशन का निर्माण हुआ, बाद में इसी को विस्तार करके इसका नाम वेरी लार्ज स्केल इंटीग्रेशन किया गया था
पहला माइक्रोचिप 1971 में इंटेल कॉरपोरेशन ने तैयार किया था जिसका नाम Intel - 4000 था बाद में इसी छोटी सी चिप को माइक्रोप्रोसेसर कहा जाने लगा, माइक्रोप्रोसेसर के उपयोग के कारण इस जनरेशन के कंप्यूटरों का आकार बहुत छोटा हो गया था, इस जनरेशन में स्टोरेज डिवाइस को कंप्यूटर में ही लगा दिया गया था जिससे कंप्यूटर का साइज बहुत छोटा हो गया और ये कंप्यूटर घर-घर तक पहुंच गए, इन कंप्यूटरों को पर्सनल कंप्यूटर भी कहा जाता था
इस जनरेशन में हाई लैग्वेज का इस्तेमाल किया गया था जैसे C, C++, DBASE , CRAY सुपर कंप्यूटर का जन्म भी इसी जनरेशन में हुआ था जो 1 सेकंड में लगभग 1 अरब गणनाएं कर सकता था, इस जनरेशन में बहुत से कंप्यूटरों का निर्माण हुआ जैसे CRAY-1, CRAY-2, APPLE-2, VAX-9000, इस जनरेशन के कंप्यूटरों का साइज छोटा होने की वजह से इन्हें आसानी से एक जगह से दूसरी जगह तक ले जा सकते थे, अगर इसकी मेमोरी की बात करें तो उसकी क्षमता बहुत अधिक हुआ करती थी
पॉंचवी पीढ़ी Fifth Generation ( 1989 - अब तक )
इस जनरेशन के कम्प्यूटरों का समय 1989 से शुरू हुआ और ये आज भी चल रहे हैं, इस जनरेशन में एक नई टेक्नोलॉजी का विकास हुआ जिसका नाम अल्ट्रा लार्ज स्केल इंटीग्रेशन है, इसका मतलब इसके माइक्रोप्रोसेसर चिप में 10 लाख तक उपकरणों को शामिल किया जा सकता है
इस जनरेशन में कृत्रिम बुद्धि की अवधारणा, वॉइस रिकग्निशन, मोबाइल संचार, सैटेलाइट संचार और सिग्नल डाटा प्रोसेसिंग को शुरू किया गया था, इस जनरेशन में जावा, वीबी, .नेट जैसी हाई लेवल लैग्वेजों की शुरूआत हुई
अभी के कंप्यूटर इतने तेज है कि इन्हें हर फील्ड में इस्तेमाल किया जा रहा है जैसे इंजीनियरिंग, अकाउंटिंग, अंतरिक्ष इत्यादि, इस पीढ़ी के कंप्यूटरों के साइज को प्रतिदिन छोटा करने का काम किया जा रहा है जिसके परिणामस्वरूप अब घड़ी के बराबर के कंप्यूटर भी देखें जा सकते हैं, इस पीढ़ी के कंप्यूटरों में इंटरनेट की सहायता से जरूरी डाटा, फाइल या फिर पैसे का लेन देन आसानी से किया जा सकता है
पांववी जनरेशन में कई कंप्यूटरों का निर्माण हुआ है जैसे IBM, NOTEBOOK, PARAM, PENTIUM, इस जनरेशन के कंप्यूटरों को आज कई आकारों में देखा जा सकता है जैसे डेस्कटॉप, लैपटॉप इत्यादि, इस जनरेशन के कंप्यूटर का साइज इतना छोटा हो गया है कि इन्हें आसानी से कहीं भी ले जा सकते हैं, इस जनरेशन के कंप्यूटरों की स्पीड काफी ज्यादा है जिससे घंटों के काम को कुछ ही सेकंड में किया जा सकता है इनसे समय की बचत होती है
आशा है कंप्यूटर की जनरेशन के बारे में जो जानकारी दी गई हैं वह आपको जरूर पसंद आई होगी अगर हां तो अपनी राय कमेंट करके जरूर बताएं धन्यवाद
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