इंटरनेट कितने प्रकार का होता हैं What are Types of Internet in Hindi

इंटरनेट का मतलब इंटरनेशनल कंप्‍यूटरों से होता है, इंटरनेट दो या दो से अधिक कंप्यूटर को एक साथ जोड़ता है, इंटरनेट यानी दुनिया के अनगित कंप्यूटरों का एक दूसरे के साथ नेटवर्क होता है, Internet की मदद से केवल एक ही क्लिक से दुनिया की सभी जानकारियां मिल जाती है

अभी इंटरनेट की वजह से दुनिया बहुत छोटी हो गयी है सन् 1969 में इंसान चांद पर पहली बार गया था और यू एस के रक्षा कार्यालय में Advanced Research Project Agency (ARPA) को नियुक्त किया था, उन्होंने चार कंप्‍यूटरों का नेटवर्क बनाया था जिससे उन्होंने डाटा को एक्‍सेंज और शेयर किया था बाद में बहुत सारी यूर्निवर्सिटी को इस नेटवर्क को ज्वाइन करके डाटा को शेयर करने के लिए कहा गया था

इंटरनेट कितने प्रकार का होता हैं What are Types of Internet in Hindi 

Internet कितने प्रकार का है

ये सबसे पहली शुरुआत थी बाद में इंजीनियर, साइंटिस्ट और कंप्यूटर एक्सपर्ट को रिसर्च के लिए रखा गया धीरे-धीरे यह नेटवर्क प्राइवेट एजेंसी और आम इंसानों के लिए खोल दिया गया और सबसे जरूरी बात यह है कि कोई भी एजेन्‍सी इंटरनेट को मेन्टेन या कंट्रोल नहीं करती 

भारत में इंटरनेट की शुरूवात Internet Started in India 

भारत में सबसे पहला इंटरनेट 15 अगस्त सन् 1995 में सरकार की कंपनी विदेश संचार निगम लिमिटेड के द्वारा शुरू किया गया था और धीरे-धीरे प्राइवेट सर्विस प्रोवाइडर जैसे एयरटेल, रिलायंस, सीफी इत्यादि ने भी शुरू कर दिया था, WWW बहुत बड़ा कंप्यूटर नेटवर्क है और इसे देखने के लिए क्रोम, इंटरनेट एक्‍सप्‍लोरर इत्‍यादि वजूद में है, इसी में सभी वेबसाइट को कनेक्ट किया जाता है, इंटरनेट कई प्रकार के होते हैं

Dial Up Connection 

Dial Up Connection में एक नंबर डायल करना होता है जिसके बाद सर्वर से कनफरमेशन मिल जाता है जिससे डाटा ट्रांसफर स्टार्ट कर सकते हैं, ये पब्लिक स्विचड टेलीफोन नेटवर्क का इस्तेमाल करता है, ये कनेक्शन को इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर से जोड़ता है इसके लिए एक टेलीफोन नंबर डायल करना होता है, जैसे ही नंबर को डायल करते हैं तो सर्वर यह देखता है कि वो रिक्वेस्ट को पूरा कर सकता है या नहीं अगर की जा सकती है तो वहां से रेस्‍पोस मिल जाता है और कनेक्‍शन एस्‍टेबलीस हो जाता है मतलब इंटरनेट को एक्सेस किया जा सकता है और अगर पूरा नहीं की जा सकती है तो कोई भी रेस्‍पोस नहीं मिलता 

पहले समय में जब कनेक्‍शन को जोडते थे तो बहुत ज्यादा समय लगता था ये सब लोकेशन पर डिपेंड करता है, Dial Up Connection की स्पीड काफी कम होती है, इसमें किसी भी वीडियो को डायरेक्ट नहीं देख सकते 

ISDN Network 

इसका पूरा नाम Integrated Service Digital Network है, ये थोड़ा बहुत डीएसएल कनेक्शन जैसा होता है, इसमें एक ही तरह के वायर का इस्तेमाल होता है जिससे वॉयस और डाटा दोनों को ही ट्रांसफर कर सकते हैं, ये बहुत पुरानी टेक्‍नोलॉजी है

ये कनेक्‍शन तब होता था जब इंटरनेट का वजूद बहुत कम था, इसमें हर 1000 मीटर पर लोड कोयल बनी होती थी ये सिग्नलों को एंप्‍लीफाई करने का काम करती थी, जब किसी भी डाटा को ट्रांसफर करना होता था तो ये कोयल समस्‍या उत्‍पन्‍न करती थी इसमें मिक्स होने की वजह से बहुत सी आवाजे आ जाती थी और सिग्‍नल अच्छा नहीं रहता था

ISDN को पूरी तरह से सुरक्षित बनाने के लिए सबसे पहले लोड कोयल को निकालना होता था, जब लोड कोयल नहीं होती थी तो आसानी से इंटरनेट कनेक्शन का इस्तेमाल कर सकते थे, लेकिन इसमें समस्या यह थी कि इसमें चैनलों का इस्तेमाल किया जा रहा था
  1. B Channel - इस चैनल में डाटा, वॉयस को ट्रांसफर किया जाता था
  2. D Channel - यह कंट्रोलिंग और सिग्‍लिंग के लिए इस्तेमाल किया जाता था मान लीजिए कि  किसी की कॉल आयी तो यूजर के पास जो बेल बजती है वो D Channel के माध्‍यम से सप्लाई होती थी
आईएसडीएन में दो प्रकार के कनेक्शन का इस्तेमाल किया जाता था
  1. BRI ( Basic Rate Interface) - BRI का इस्तेमाल घर के लिए, ऑफिस इत्यादि जगह पर इस्तेमाल किया जाता था क्योंकि इसमें तीन चैनलों का इस्तेमाल किया जाता था 2 बी के और 1 डी चैनल होता था
  2. PRI ( Primary Rate Interface) - इसका इस्तेमाल बडी-बडी कंपनियों में किया जाता था इसमें 23 बी चैनल और 1 डी चैनल होता था  
इसमें एक चैनल 24 किलोवाइट्स डाटा को ट्रांसफर करता था, ISDN में स्पीड लगभग 128 से 384 किलोबाइट्स तक होती थी, इसको लगाने में खर्च बहुत ज्यादा आता था क्योंकि यह टेक्‍नोलॉजी डॉयल अप पर काम करती थी, डॉयल अप का मतलब होता है अगर कनेक्शन जोड़ना है तो एक जगह से दूसरी जगह पर पहले कॉल करना होगा जैसे ही रिसीवर कॉल को रिसीव करता था तो कनेक्शन जुड़ जाता था 

Leased Line Connection 

अक्‍सर सुना जाता है कि Internet की स्‍पीड  3 Mb/s or 5 Mb/s की लीस्ड लाइन है तो सोचते होंगे कि यह लीस्ड लाइन होती क्या है और अगर इसे ब्रॉडबैंड से कंपेयर करें तो फिर इनमें क्या अंतर है

इसका इस्तेमाल किसी भी Commercial जगह पर किया जाता है या ऑफिस में किया जाता है इसका इस्तेमाल घरों में नहीं किया जाता, लीज्ड लाइन कनेक्शन में अलग से लाइन दे दी जाती है जिसका इस्तेमाल कोई और नहीं करता, इसमें जितनी स्‍पीड की बोला जाता है वही स्‍पीड दी जाती है, स्पीड पर यूजर घटने या बढ़ने से कोई फर्क नहीं पड़ता 

लीज्ड लाइन को लगवाने की लागत बहुत ज्यादा आती है इसमें डाउनलोडिंग स्पीड और अपलोडिंग स्पीड बराबर होती है

Very Small Aperture Terminal (VSAT)  

अभी जिस इंटरनेट का इस्तेमाल किया जा रहा है वह युजर तक एक ऑप्टिकल फाइबर के माध्यम से पहुंचता है, ये लाइनें समुद्र और पृथ्वी के अंदर स्थापित की गयी है लेकिन इन लाइन और केबल को दुनिया के हर कोने में पहुचाना मुश्किल होता है इसी वजह से बहुत सी जगह पर हाई स्पीड इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं कर पाते 

अभी के युग में हर समय इंटरनेट की जरूरत होती है इसलिए एक नई तकनीक पर भरोसा किया जा सकता है जो भविष्य के लिए कारगर साबित हो सकती है, इसको माइक्रो अर्थ स्टेशन भी बोल सकते हैं, इसे सन् 1980 के मध्य में विकसित किया गया था, इसके जरिए दुनिया के हर कोने में इंटरनेट की स्पीड का फायदा उठाया जा सकता है, बी सेट का आकार 3 मीटर से भी छोटा होता है और इसे जमीन पर रखकर आसानी से उपयोग में ला सकते हैं, इसका इस्तेमाल किसी भी डाटा को सेटेलाइट तक पहुंचाने के लिए या सेटेलाइट से लेने के लिए किया जाता है

Broadband Connection 

अभी के समय में जिओ ने अपनी फाइबर की लाइनों को चारो तरफ बिछा कर रखा हुआ है, अगर किसी को जिओ का कनेक्शन चाहिए होता है तो कनेक्‍शन को बुक करना होता है जिससे जिओ मेन लाइन से आपके घर तक एक लाइन खीच देते हैं और उसके बाद इंटरनेट का इस्तेमाल आसानी से कर सकते हैं मतलब जो इंटरनेट घर में वायरों के माध्‍यम से आ रहा है उसे ब्रॉडबैंड कहते हैं

इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह बहुत सस्ता होता है, इसमें अनलिमिटेड कॉलिंग की भी सुविधा दी जाती है इसमें अनलिमिटेड डाटा दिया जाता है और स्पीड भी बहुत अधिक दी जाती है, इसकी सबसे बड़ी कमी यह है कि अभी यह लाइनें हर जगह पर नहीं है तो हर व्यक्ति इनका इस्तेमाल नहीं कर पाता है

Wireless Internet Connection 

इसे WLAN नेटवर्क भी बोल सकते हैं इसका पूरा नाम Wireless Local Area Network होता है जब वायरलेस नेटवर्क नहीं था तो सभी लोग स्विच से इंटरनेट से कनेक्ट होते थे, वायरलेस नेटवर्क बिना किसी तार के कनेक्‍ट किए जाते हैं, इसे साधारण भाषा में वाईफाई भी बोल सकते हैं

अगर वायरलेस नेटवर्क को LAN (Local Area Network) से कनेक्ट करना हो तो नहीं कर सकते हैं, इसमें जितने भी कंप्यूटर होते हैं वो आपस में कनेक्ट होते हैं, इसमें जिस डिवाइस का इस्तेमाल होता है उसे एक्सेस पाइंट कहा जाता है, ये एक ऐसी डिवाइस होती है जो वायरलेस नेटवर्क और वायरड नेटवर्क को आपस में कम्यूनिकेट कराती है

Satellite Internet Connection 

अभी भी ऐसी बहुत सारी जगह है जहां इंटरनेट नहीं है क्योंकि वहां पर इंटरनेट की फाइबर केबल या तो होती नहीं है और अगर होती भी है तो बहुत कम होती है, तो अब इंटरनेट का इस्तेमाल  सैटेलाइट के जरिए किया जा सकता है 

लेकिन इसमें सबसे बड़ी समस्या यह है कि इसको पूरी दुनिया के लिए बनाना बहुत मुश्किल काम है, अगर कंपनियों की बात करें तो वो इसको अपने लिए इस्तेमाल करती है जिससे उनको स्पीड अच्छी मिलती है, यहां बात करते हैं Geosynchronous Satellite के बारे में जो अंतरिक्ष में जाकर एक निश्चित ऊंचाई को पकड़ लेती है क्योंकि उस ऊंचाई पर उनकी रोटेशन स्पीड बिल्कुल पृथ्वी की स्पीड के बराबर होती है

ये बिल्कुल ऐसे ही काम करता है जैसे घर में टीवी के सिग्नल काम करते हैं पर इसमें समस्या यह है कि इसके लिए हर किसी यूजर के हिसाब से व्यवस्था करनी होगी, इसके लिए ज्यादा से ज्यादा सैटेलाइट होनी चाहिए ताकि वो हर प्रकार के यूजर की जरूरत के हिसाब से उसकी पूर्ति कर सकें, आने वाले समय में सैटेलाइट इंटरनेट बहुत ज्यादा बढ़ने वाला है क्योंकि इसकी स्पीड भी ज्यादा होती है

Mobile Internet Connection 

अगर मोबाइल फोन में इंटरनेट नहीं होता तो वह एक डिब्‍बे के समान लगता है, जब मोबाइल फोन में इंटरनेट का इस्तेमाल किया जाता है तो या तो मोबाइल डाटा से किया जाता है या फिर वाईफाई से किया जाता है

अभी के समय में हर किसी को इंटरनेट की स्पीड ज्यादा चाहिए होती है पर मोबाइल डाटा उतनी स्पीड नहीं दे पाता तो अगर ज्यादा स्पीड की आवश्यकता है तो वाईफाई का इस्तेमाल कर सकते हैं
Internet Connectivity क्‍या है

इंटरनेट कनेक्‍टविटी Internet Connectivity

Connectivity Internet से जुड़ने के लिए यूज होने वाला तरीका है, ये एक इंफोमेशन का ग्रुप है जिसके जरिए Internet से कनेक्ट होकर किसी भी जानकारी को ले सकते हैं, Internet एक ऐसी जगह होती है जहां एक क्लिक से पूरी दुनिया से जुड़ी हर प्रकार का डाटा आसानी से निकाल सकते हैं और उसे स्टोर कर सकते हैं, Internet को इस्तेमाल करने के लिए विशेष नियम और प्रोटोकॉल बनाये गए है जिन्हें यूजर को मानना होता है

Internet का इस्तेमाल करना हो तो सबसे पहले किसी न किसी सर्वर से जुडना होता है, सर्वर एक ऐसा सिस्टम होता है जो यूजर के द्वारा आयी रिक्‍युएस्‍ट को लेकर उसके द्वारा मांगी गए डाटा को उपलब्‍ध कराता है, Internet की सुविधा को लेने के लिए Internet कनेक्शन की आवश्यकता होती है, ये सेवाएं कई प्रकार की कंपनियां देती है

जो कंपनी Internet की सर्विस प्रोवाइड कराती है उन्हें ISP (Internet Service Provider) कहा जाता है, जब भी किसी भी कंपनी का इस्तेमाल करते हैं तो उसके लिए कुछ न कुछ फीस देनी होती है और उससे आसानी से Internet से जुड़ सकते हैं

इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर Internet Service Provider

जब कोई कस्टमर किसी दुकान से ऑनलाइन कोई सामान खरीदता है तो उस सामान को देने वाली कंपनी उस कस्टमर को सेवाएं प्रदान करने का वादा करती है ये सेवा किसी भी तरह से हो सकती है जैसे प्रोडक्ट को खराब होने पर उसकी मरम्मत करना, प्रोडक्ट को इस्तेमाल करने के लिए गाइड करना, या किसी प्रोडक्ट को इस्तेमाल करते वक्त उसमें दिक्कत आयी तो उसे सरलता से संभालना ये सारे काम सर्विस प्रोवाइडर का होता है

उसी तरह जब Internet का इस्तेमाल किया जाता है तब Internet के सर्विस प्रोवाइडर अलग-अलग तरह से सेवाएं प्रदान करते हैं, Internet से जुड़े रहने के लिए एक आईएसपी का एक्‍सेस होना जरूरी है जो Internet प्रदान करता है, सिस्‍टमों में Internet चलाने के लिए किसी न किसी सर्विस प्रोवाइडर की आवश्यकता होती है, हम जिस कंपनी का सिम इस्तेमाल करके Internet चलाते हैं वहीं कंपनी हमारा सर्विस प्रोवाइडर होती है

आईएसपी का पूरा नाम इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर है, ये एक ऐसी संस्था है जो लोगों और छोटे बड़े सभी ऑर्गेनाइजेशन को Internet की सुविधा देने का काम करती है चाहे वह कहीं पर भी हो, जब भी Internet से जुड़ते हैं तो डिवाइस का कनेक्शन Internet के साथ आईएसपी के माध्‍यम से ही होता है, एक आईएसपी यूजर के लिए एक गेटवे बनाता है, जब भी यूजर इनका इस्तेमाल करता है तो यूजर्स के द्वारा कुछ न कुछ भुगतान किया जाता है

आईएसपी की मदद से अब दुनिया के हर कोने में Internet की सुविधा को पहुंचाया जाता है, टेक्‍नोलॉजी के आगे बढ़ने की वजह से आईएसपी कंपनियों के बीच कंपटीशन बढ़ गया है जिसकी वजह से यूजर्स को Internet की सुविधा काफी कम दामों में मिल रही है

आशा है Internet के बारे में आज जो जानकारी दी गई हैं वह आपको जरूर पसंद आई होगी अगर हां तो अपनी राय कमेंट सेक्‍शन में जरूर बताएं धन्‍यवाद 

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