माइक्रोसॉफ्ट डॉस क्‍या है What is Microsoft DOS in Hindi

MS DOS का पहले नाम और कुछ हुआ करता था क्योंकि इसे किसी और कंपनी के द्वारा बनाया गया था बाद में माइक्रोसॉफ्ट ने इसे उस कंपनी से खरीद लिया और इसका नाम बदलकर माइक्रोसॉफ्ट डॉस कर दिया गया सबसे पहले बात करें कि ऑपरेटिंग सिस्‍टम क्‍या होता है, मान लीजिए अगर किसी दुकान से कंप्यूटर खरीदा गया और उसमें सीपीयू, मॉनिटर, माउस इत्‍यादि हार्डवेयर होते हैं

माइक्रोसॉफ्ट डॉस क्‍या है What is Microsoft DOS in Hindi 

Microsoft Dos क्‍या है

अगर यूजर डायरेक्ट हार्डवेयर से कनेक्ट होना चाहे तो नहीं हो सकता है क्योंकि हार्डवेयर मशीन लैग्‍वेज को सपोर्ट करते हैं और यूजर ह्यूमन रीडेबल लैग्‍वेज को सपोर्ट करते हैं, इन दोनों के बीच बात कराने के लिए एक सॉफ्टवेयर होता है जिसे सिस्‍टम सॉफ्टवेयर बोलते हैं, सिस्‍टम सॉफ्टवेयर में सबसे पहले ऑपरेटिंग सिस्टम आता है, ऑपरेटिंग सिस्टम सिस्टम को इतना कैपेबल बनाता है कि वो किसी भी सॉफ्टवेयर को उसमें रन कर सके तो बोल सकते हैं कि यूजर और मशीन के बीच बात कराने का माध्‍यम ऑपरेटिंग सिस्टम होता है

ऑपरेटिंग सिस्‍टम कितने प्रकार का होता है Types of Operating System

  1. Simple Batch System - इसमें कंपालयर और यूजर के बीच में डायरेक्ट कोई भी इंटरेक्शन नहीं होता मतलब जो इंस्‍ट्रक्‍शन दिया जाता था वो किसी दूसरी मेमोरी में रखा जाता था, उस मेमोरी से फिर कंपालयर रन करता था, इसमें प्रोसेसर को रन करने में बहुत ज्यादा समय लगता था
  2. Multiprogramming Batch System -इसमें कंपालयर और यूजर के बीच डायरेक्ट इंटरेक्शन हुआ करता था जिसकी वजह से प्रोसेसर को रन करने में कम समय लगता था
  3. Multiprocessor System - इसमें एक से अधिक सीपीयू को लगाया जाता था मतलब अगर किसी भी सिस्टम में एक से अधिक सीपीयू को लगाया जाए तो कोई भी काम जल्दी हो जाए तो इस सिस्टम में काम बहुत तेजी से होता था
  4. Distributed Operating System - इसमें एक बडी प्रोसेस को छोटे-छोटे भागों में बांट दिया जाता था जिससे काम जल्दी हो सकें, इसमें लॉड को डिस्‍ट्रव्‍यूट किया जाने लगा और काम भी जल्दी होने लगा
  5. Real Time Operating System - ये एक ऐसा ऑपरेटिंग सिस्टम है जिसमें रियल टाइम में कोई भी काम किया जाता है जैसे रेलवे टिकट, मिसाइल को लॉन्च करना, सैटेलाइट इत्‍यादि ये सभी रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम के उदाहरण है

डिस्‍क ऑपरेटिंग सिस्‍टम क्‍या है What is Disk Operating System (DOS)

MS DOS का पूरा नाम माइक्रोसॉफ्ट ऑपरेटिंग सिस्टम है, इसमें कीबोर्ड के माध्‍यम से इस्‍ट्रेक्‍शन देने होते हैं इसकाे CUI (Character User Interface) कहा जाता है, ये एक समय पर बहुत ज्यादा लोकप्रिय ऑपरेटिंग सिस्टम हुआ करता था, इसका उपयोग माइक्रो कंप्यूटर में किया जाता था

सन् 1984 में इंटेल 80286 एक प्रोसेसर था उसमें एक माइक्रोप्रोसेसर को विकसित किया गया था और इसमें MS Dos 3.0 और MS DOS 4.0 वर्जन का विकास किया गया माइक्रोसॉफ्ट के इस ऑपरेटिंग सिस्टम को डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम कहा गया क्योंकि इसका काम डिस्‍क को मैनेज करने का हुआ करता था, MS DOS ऑपरेटिंग सिस्टम एक यूजर और हार्डवेयर के बीच मध्यस्थता का काम करता है

ऑपरेटिंग सिस्टम हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के बीच में संपर्क स्थापित करता है और उनके बीच में संबंध स्थापित करता है, अगर इसमें कोई भी समस्या आती है तो वो यूजर को इसके बारे में बताया जाता है, इसमें कीबोर्ड की सहायता से कमांड दिए जाते हैं, डॉस कमांडस को समझ कर किसी भी काम को पूरा करता है और आउटपुट देता है

किसी भी डाटा को ठीक तरह से रखने के लिए डॉस मेमोरी को दो भागों में बांटता है

  • System Area - यह डिस्‍क का बहुत छोटा सा भाग होता है इसका काम डॉस के द्वारा डिस्क के डाटा को एक जगह पर रखने के लिए किया जाता है, सिस्टम एरिया तीन प्रकार का होता है
  1. Boot Records - इसे पार्टिशन सेक्टर भी कहा जाता है इसका साइज 512 बाइट्स का होता है इसके लिए डिस्‍क के पहले सेक्टर का इस्तेमाल किया जाता है, इसका इस्तेमाल प्राइमरी टेबल को रखने के लिए किया जाता है, इसका इस्तेमाल डिस्‍क को बनाए गए 32 बिट डिस्‍क सिग्नेचर को रखने के लिए किया जाता है, बूट में जितना भी डाटा होता है उसको रखने के लिए बूट रिकॉर्ड का इस्तेमाल किया जाता है
  2. FAT - सिस्टम एरिया के दूसरे भाग को फाइल एलोकेशन टेबल कहा जाता है, यह टेबल बहुत जरूरी होती है क्योंकि डाटा एरिया में कौन सी फाइल कहा पर है इसका पूरा रिकॉर्ड फैट में ही रहता है
  3. Root Directory - कंप्यूटर के फाइल सिस्‍टम के डायरेक्टरी में सबसे पहले रूट डायरेक्टरी होती है, इसे बेस डाइरेक्टरी भी कहा जाता हैबोल सकते हैं कि रूट डायरेक्टरी सबसे जरूरी डायरेक्‍टरी होती है
  • Data Area - सिस्टम एरिया से जितना भी डाटा बचता है उसे डाटा एरिया कहा जाता है जिसमें सभी प्रोग्राम और यूजर द्वारा बनाई गई फाइलों को स्टोर किया जाता है इसलिए इसे डाटा एरिया कहा जाता है इसमें पूरी डिस्‍क छोटे-छोटे क्‍लस्‍टर में बटी रहती है जिसमें फाइल अपने साइज के द्वारा एक या उससे अधिक क्‍लस्‍टर में रहती है, अगर फाइल छोटी है तो कम क्‍लस्‍टर लगते हैं और अगर फाइल बडी है तो ज्यादा क्‍लस्‍टर का इस्तेमाल किया जाता है
Commands in MS Dos

एम एस डॉस में कमांड Commands in MS DOS

अगर कंमाड प्रोमॉट को किसी एक फोल्डर में खोलना हो तो एड्रेस बार में जाकर सीएमडी लिखकर एंटर कर दे जिससे सीएमडी आसानी से खुल जाएगा, आइए जानें कि कमांड प्रोमॉट का कलर किस तरीके से बदलते हैं, अगर  हेल्प कलर लिखा जाता है तो वहां पर बहुत से कलर खुल कर आ जाएंगे इसमें कोड्स का इस्तेमाल करके कलर बदल सकते हैं

जैसे अगर लिखा कलर 03 और तीन नंबर पर लाल कलर है तो प्रोमॉट का कलर लाल हो जाएंगा और इस तरह से किसी भी कलर का इस्तेमाल करके प्रोमॉट का कलर बदल सकते हैं

आइए जानें कि प्रोमॉट को किस तरह से बदलते हैं, अगर लोग हेल्प प्रोमॉट लिखेंगे तो प्रोमॉट कमांड को इस्तेमाल करने के कमांड आ जाएंगे, इसमें यूजर के सामने बहुत से साइन आ जाएंगे उनमें से किसी का भी इस्तेमाल उनके कोड की सहायता से कर सकते हैं तो इस तरीके से प्रोमॉट को बदल सकते हैं,कमांड प्रोमॉट की मदद से किसी भी मूवी को राइटिंग में देख सकते हैं इसके लिए कुछ प्रोमॉट कमांड का इस्तेमाल करना होगा और उस मूवी का पूरा डे‍स्‍क्रिप्‍शन सामने चलने लग जाएंगा

अगर कमांड प्रोमॉट की मदद से किसी फोल्‍डर को छुपाना है तो आसानी से कर सकते हैं जैसे अमर नाम से कोई फोल्डर बनाया गया है और प्रोमॉट फोल्डर खोलना है तो वहां पर Atrip +h +s +r Amar लिखे ये काम करते ही अमर नाम की फाइल छुप जाएगी, अगर इस फोल्डर को वापस देखना है तो प्रोमॉट कमांड में जहां प्‍लस लिखा है उसकी जगह माइनस लिखना है और आसानी से उस फोल्डर को फिर से देख सकते हैं तो इस तरह से फोल्‍डर को छुपा सकते हैं और उस फोल्डर को कोई भी ढूंढ नहीं सकता 

कमांड प्रमोट में F7 का इस्तेमाल History को देखने के लिए कर सकते हैं इस तरह से कमांड प्रोमॉट का इस्तेमाल करके बहुत से कामों को जल्दी और आसानी से कर सकते हैं और जानने वालों को Impress कर सकते हैं

एम एस डॉस और विंडो में अंतर Difference Between MS DOS and Windows

अगर ऑनलाइन लैपटॉप खरीदना है तो देखा जाता है कि विंडोज के लैपटॉप की कीमत बहुत ज्यादा होती है और  डॉस के लैपटॉप की कीमत बहुत कम दिखाई देगी इन दोनों लैपटॉप में स्पेसिफिकेशन भी बराबर होती है, अब ये तो सभी जानते हैं कि विंडोज एक Paid ऑपरेटिंग सिस्टम है या तो विंडोज का पैसा देना होता है या फिर उस कंपनी ने पहले ही दे दिया होता है और लैपटॉप में इन्‍स्‍ट्रांल कर दिया गया होता है 

वहीं अगर डॉस की बात करें तो वो बिलकुल फ्री ऑपरेटिंग सिस्टम है तो बीस या पच्चीस हजार का एक डॉस का लैपटॉप खरीदें और विंडोज को उसमें इन्‍स्‍ट्राल करें एक बात और जान लें कि विंडोज को फ्री में इस्तेमाल कर सकते हैं, अगर विंडोज इनसाइडर प्रोग्राम को ज्वाइन किया जाता है तो ऐसे में माइक्रोसॉफ्ट फ्री में विंडोज इस्तेमाल करने के लिए देता है, ये लैपटॉप वैसे ही काम करेगा जैसे विंडोज का चालीस हजार का काम करता है

आशा है एम एस डॉस के बारे में आज जो जानकारी दी गई हैं वह आपको जरूर पसंद आई होगी अगर हां तो अपनी राय कमेंट सेक्‍शन में जरूर दें धन्‍यवाद 

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