क्वांटम कंप्यूटर क्या है What is Quantum Computer in Hindi
कंप्यूटर हमारी जिन्दगी का अहम हिस्सा बन चुका है फिर बात चाहे रिसर्च की हो या फिर टेक्नोलॉजी की बिना कंप्यूटर के कुछ भी संभव नहीं है, पिछले कुछ वर्षों में कंप्यूटर के साइज छोटा कर दिया है और कंप्यूटर की काम करने की क्षमता को भी ज्यादा बढ़ा दिया है आज के समय में जो मोबाइल फोन का इस्तेमाल क्या जाता है वो आज से 50 साल पुराने कंप्यूटर से काफी तेज है और साइज में भी बहुत छोटा है क्योंकि उस समय के कंप्यूटर का साइज बहुत बडा होता था
इतनी टेक्नोलॉजी होने के बावजूद आज के कंप्यूटर कई मायनों में परफेक्ट नहीं है अगर इनकी एक Limitation की बात करें तो वो है स्पीड क्योंकि जब ने सिस्टम पर कोई Complex कैलकुलेशन को हल करने जाते हैं तो उसमें बहुत ज्यादा समय लगता है, इसलिए अब ऐसे कंप्यूटरों की जरूरत है जो आजकल के कंप्यूटरों से हर तरह से बेहतर हो
क्वांटम कंप्यूटर क्या है What is Quantum Computer in Hindi
गूगल, इंटेल या एचसीएल आज Quantum भौतिकी का इस्तेमाल करके कंप्यूटर बनाने में लगी हुई है जिन्हें भविष्य के कंप्यूटर भी कह सकते हैं इन कंप्यूटरों को Quantum Computer भी कहा जाता है, इन कंप्यूटर का काम करने का मॉडल बना लिया गया है और छोटी-छोटी कैल्कूलेशन कराके इनको चेक भी कर लिया गया है, अब ये कंपनी इन कंप्यूटरों को बडे स्तर पर बनाने की तैयारी में लगी हुई है अगर बडे स्तर पर इनका निर्माण होना शुरू हो गया तो ये जाहिर तौर पर आजकल के कंप्यूटरों की जगह ले लेंगे
How Quantum Computer Works
Quantum Computer ऐसे कंप्यूटर होते हैं जो कंप्यूटेशन करने के लिए क्यू बिट्स या क्वांटम बिट्स का इस्तेमाल करते हैं, आमतौर पर जो कंप्यूटर इस्तेमाल किए जा रहे हैं उन्हें बाइनरी कंप्यूटर कहा जाता है क्योंकि इनमें जो भी फंक्शन होते हैं वो 0 या 1 पर होते हैं एक बाइनरी कंप्यूटर में किसी भी तरह की कैलकुलेशन करने के लिए प्रोसेसर ट्रांजिस्टर का इस्तेमाल करता है ये ट्रांजिस्टर या तो ऑन स्टेट में होता है या फिर ऑफ स्टेट में होता है यहां 1 का मतलब ऑन से होता है और 0 का मतलब ऑफ से होता है, बाइनरी कंप्यूटर जो 0 और 1 का इस्तेमाल करते हैं उन्हें बिट्स कहा जाता है
Quantum Computer में बिट्स नहीं क्यू बिट्स का इस्तेमाल होता है इन्हें क्वांटम बिट्स भी कहा जाता है इन क्यू बिट्स में एक फंक्शन ज्यादा होता है जो बिट्स में नहीं होता है देखिए बिट्स में डाटा केवल 0 और 1 की फॉर्म में रहता है वहीं अगर क्यू बिट्स की बात करें तो इनमें डाटा 0 में 1 में या 0 और 1 दोनों में हो सकता है ये कप्यूटेशन स्पीड को बहुत ज्यादा बढा देता है जब तक इन क्यू बिट्स को देखा नहीं जाता है वो एक ही साथ सभी संभव स्टेट में होते हैं जिसे स्पिनिंग स्टेट कहा जाता है उन्हें जब Measure किया जाता है तो उन्हें अप, डाउन और Both से कहा जाता है
What is Superposition Phenomenon
इन क्यू बिट्स की फंक्शन लिटी क्वांटम भौतिकी के Superposition Phenomenon पर आधारित होती है, आइये पहले सुपरपोजिशन फिनोमिनल को समझ लेते हैं, देखिए क्वांटम भौतिकी में देखा जाता है कि ये दुनिया जितनी साधारण दिखती है उतनी नहीं है क्वांटम Particles अलग तरीके से बर्ताव करते हैं और जब उन्हें Observe किया जाता है तो उस समय बिल्कुल अलग होते हैं और जब उन्हें Observe न किया जा रहा हो तो अलग तरीके से Behave करते हैं, डबल स्लिट एक्सपेरिमेंट इसका सबसे अच्छा उदाहरण है क्योंकि ये हमें दर्शाता है कि जब क्वांटम Particles को Observe किया जाता है तो वो एक Particle की तरह दिखते हैं और जब उन्हें Observe न किया जा रहा हो तो वो एक वेव की तरह दिखते हैं
इसका मतलब ये होता है कि ये एक ही समय पर Particle भी होते हैं और वेव भी होते हैं, Quantum Computer क्यू बिट्स प्रकृति में मौजूद Particle का इस्तेमाल करती है इसी Behaviour को Simulate कहा जाता है जिससे उनकी क्षमता और स्पीड कई गुना बढ जाती है अगर तुलना की बात की जाए तो गूगल का Quantum Computer आम कंप्यूटरों से कई लाख गुना तेज है
Quantum Computer की इतनी स्पीड और क्षमता बहुत सी कंपनियों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है पर इन्हें बनाना और इनके साथ काम करना अभी इतना आसान नहीं है क्योंकि Observe करने पर क्यू बिट्स का स्टेट बदल जाता है और ये इस्तेमाल करने पर काफी ज्यादा शोर करते हैं यानी की जितनी ज्यादा क्यू बिट्स का इस्तेमाल होता है उतनी ही ज्यादा एरर होने के Chances बढ़ जाते हैं, दूसरा कारण यह भी है कि ज्यादातर Quantum Computer को 0 डिग्री तापमान पर रखना होता है जो कि स्पेस से भी ठंडा होता है
इन्हे अच्छे से काम करने के लिए ज्यादा पावर की भी आवश्यकता होती है यानी कि एकQuantum Computer को काम करने लायक बनाने के लिए काफी ज्यादा खर्च आता है इसलिए अभी ये आम लोगों के लिए नहीं मिल पा रहे हैं, अभी कुछ गिनी चुनी कंपनियां ही Quantum Computer बना रहे हैं जैसे गूगल, इंटेल इत्यादि पर इतना तो तय है कि आने वाले समय में Quantum Computer पर ही काम हुआ करेगा
What is Quantum Physics
यूनिवर्स में ऐसी बहुत सी चीज है जिनकी खोज तो भले ही कर ली गयी हो पर उनको पूरी तरह से समझना आज भी मुश्किल है उनमें से ही एक क्वांटम भौतिकी है जिसका इस्तेमाल रोजमर्रा की जिंदगी में होता है और ब्रह्माण्ड में भी इसका उपयोग होता रहता है
क्वांटम भौतिकी भौतिक विज्ञान का वो भाग होता है जिसमें बहुत छोटे-छोटे कण होते हैं जैसे इलेक्ट्रॉन, प्रोटोन इत्यादि, इसे क्वांटम फील्ड Theory भी कहा जाता है 14 सितंबर 1950 को मैक्स प्लैंक ने क्वांटम भौतिकी की नींव डाली थी क्वांटम भौतिकी को स्थापित करने के लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था, उसी का इस्तेमाल करके आइंस्टीन ने अपने सिद्धांत दिए थे
अब जानते हैं कि क्वांटा क्या है मैक्स प्लांक के द्वारा छोटे-छोटे कण बनाये गए थे उन्हें ही क्वांटा कहा जाता है और ये केवल प्रकाश की आवृत्ति पर निर्भर करती है, हमारे चारों तरफ जो भी घटित होता है उसमें क्वांटम भौतिकी का इस्तेमाल होता है अगर Toaster पर ब्रेड सेकते हैं तो वह क्वांटम भौतिकी के जरिए ही होता है, पूरा कंप्यूटर का काम क्वांटम भौतिकी पर आधारित है तो अगर क्वांटम भौतिकी की खोज न हुई होती तो आज कंप्यूटर नहीं होता
Advantages of Quantum Computers
- Quantum Computer किसी भी कैलकुलेशन को बाइनरी कंप्यूटर से बहुत तेजी में करते हैं
- Quantum Computer की स्पीड बाइनरी कंप्यूटर की स्पीड से बहुत ज्यादा होती है
- Quantum Computer आने के बाद कई दिनों का काम कुछ ही घंटों में पूरा कर सकते हैं
Disadvantages of Quantum Computers
- Quantum Computer शोर बहुत ज्यादा करते हैं
- Quantum Computer को बनाने में खर्चा बहुत ज्यादा आता है
आशा है Quantum Computer के बारे में जो जानकारी दी गई है वह आपको जरूर पसंद आई होगी अगर हां तो अपनी राय जरूर दें धन्यवाद
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