मल्‍टीमीडिया प्रोजेक्‍टर क्‍या है What is Multimedia Projector in Hindi

वैसे तो सभी ने प्रोजेक्टर को देखा हैऔर अगर नहीं तो नाम तो सुना ही होगा, स्मार्ट क्लासेस में प्रोजेक्‍टर पर पढाया जाता है तो वहां पर अब काले बोर्ड पर नहीं पढाया जाता उसकी जगह सफेद कलर के बोर्ड पर पढ़ाया जाता है जिसमें न तो किसी चौक का कोई खर्चा होता है और न ही बार-बार उसको साफ करने की जरूरत होती है, इसमें उन बोर्ड पर एक सफेद कलर की लाइट प्रोजेक्टर से निकलकर प्रोजेक्ट होती है जिससे इमेज या वीडियो दिखता है, अब प्रोजेक्‍टरों का इस्तेमाल केवल पढाई के लिए ही नहीं बल्कि इनका इस्तेमाल घर पर Home Theatre की तरह भी किया जा रहा है या फिर अगर किसी कंपनी में कोई प्रेजेंटेशन देना होता है तो वहां प्रोजेक्टर का इस्तेमाल कर काम आसानी से किया जा सकता है 

मल्‍टीमीडिया प्रोजेक्‍टर क्‍या है What is Multimedia Projector in Hindi 

मल्‍टीमीडिया प्रोजेक्‍टर क्‍या है

मल्‍टीमीडिया क्‍या है What is Multimedia 

देखिए Multimedia दो शब्दों से मिलकर बना है Multi और Media Multi का इस्तेमाल दो या दो से अधिक के लिए किया जाता है जबकि Media Medium का बहुवचन होता है तो Medium का मतलब स्‍टोरेज, कम्युनिकेशन इत्यादि के लिए किया जाता है, इसमें किसी भी आम जानकारी को आसानी से दिखा सकते हैं जैसे टेक्‍स्‍ट, वीडियो, इमेज इत्‍यादि

प्रोजेक्टर एक ऐसा ऑप्टिकल डिवाइस है जो इमेजों या वीडियो को एक सरफेस के ऊपर प्रोजेक्ट करता है जिसे सभी प्रोजेक्शन स्क्रीन कहते हैं, अब प्रोजेक्टर की मदद से किसी को कोई भी वीडियो आसानी से और अच्‍छी क्‍वालिटी में दिखा सकते हैं, जब किसी हॉल में कोई पिक्चर देखने जाते हैं तो वहां जो प्रोजेक्‍टर होता है उसे Movie Projector कहा जाता है

अभी के समय में वीडियो प्रोजेक्टर का इस्तेमाल सबसे ज्यादा होता है, वीडियो प्रोजेक्टर से पहले जिन प्रोजेक्‍टरों का इस्तेमाल होता था वह स्लाइड प्रोजेक्टर और ओवरहैड प्रोजेक्टर थे, आज भी पुराने वाले प्रोजेक्टर का इस्तेमाल बहुत जगह किया जा रहा है, प्रोजेक्टरों का जो सबसे Latest Version है उसको हाथ में कहीं भी ले जा सकते हैं इस तरीके के प्रोजेक्टरों में लेजर लाइट का इस्तेमाल होता है

प्रोजेक्टर के प्रकार Types of Projector 

  1. Digital Light Processing (DLP) - DLP प्रोजेक्टर में बहुत सारी चिपों का उपयोग किया जाता है और ये सब Micro Electro-Magnetic टेक्नोलॉजी पर आधारित होती है, इस तरीके के प्रोजेक्‍टरों को पहली बार Larry Hornback के द्वारा सन् 1987 में बनाया गया था जबकि DLP इमेजिंग यंत्र Texas Instrument के द्वारा बनाया गया था इस तरीके के प्रोजेक्‍टरों को स्‍मार्ट क्‍लासेज में पढ़ाई के लिए और कंपनियों में प्रेजेंटेशन के लिए बहुत इस्तेमाल किया जा रहा है जिस वजह से इस तरीके के प्रोजेक्‍टरों की मार्केट वैल्यू बहुत ज्यादा होती है, इन प्रोजेक्‍टरों का इस्तेमाल 85 प्रतिशत तक डिजिटल सिनेमा में किया जा रहा है,इन प्रोजेक्टरों में टिटलिंग मिरर का इस्तेमाल लाइट को रिफ्लेक्ट करने के लिए किया जाता है
  2. Liquid Crystal Display (LCD) - LCD प्रोजेक्टर छोटे लिक्विड क्रिस्टल का उपयोग करके बनाए जाते हैं जहां लाइट को रोका नहीं जाता बल्कि उसे जाने दिया जाता है, इसमें चार पैनल होते हैं जिनमें से तीन पैनलों में रंगों का उपयोग किया जाता है, इसमें एक ऑप्टिकल फिल्टर होता है जिसका मुख्य काम लाइट को तीन रंगों में अलग-अलग कर उसे सही जगह तक पहुंचाने का होता है LCD प्रोजेक्टर छोटी सी जगह में भी ज्यादा क्षमता की लाइट को भेज सकते हैं, ये प्रोजेक्‍टर DLP प्रोजेक्‍टरों से सस्ते होते हैं और इनको समय-समय पर देखने की आवश्यकता होती है, इस तरीके के प्रोजेक्टरों में लिक्विड क्रिस्टल का इस्तेमाल ग्लास पैनल पर किया जाता है ताकि लाइट आसानी से पास हो सकें
  3. Liquid Crystal on Silicon (LCOS) - इस तरीके के प्रोजेक्‍टरों को हाइब्रिड प्रोजेक्‍टर भी कहा जाता है क्योंकि यह प्रोजेक्‍टर DLP और LCD प्रोजेक्‍टरों से मिलकर बने होते हैं, इस तरीके के प्रोजेक्टरों में आईने की जगह लिक्विड क्रिस्टल का इस्तेमाल किया जाता है, इनमें जब लाइट के क्रिस्टल खुलते और बंद होते हैं तो वो लाइट को रिफ्लेक्ट कर देते हैं या फिर ब्लॉक कर देते हैं और इससे आसानी से इमेज बन जाती हैं इस तरीके के प्रोजेक्‍टर सबसे पहली बार General Electric कंपनी के द्वारा सन् 1970 में बनाया गया था पहले इस तरीके के प्रोजेक्‍टरों को केवल टी बी की तरह इस्तेमाल किया जाता था पर अभी इनका इस्तेमाल वेवलेंथ सलेक्‍टिंव स्विचिंग इत्यादि के लिए किया जाता है
  4. Laser Projectors - Laser Projectors ऐसे डिवाइस होते हैं जो चलती हुई इमेज को लेजर लाइट के माध्‍यम से स्‍क्रीन पर दिखाते हैं इनका इस्तेमाल ज्यादातर Entertainment या फिर Professionally किया जाता है, लेजर प्रोजेक्टर दो तरीके के होते हैं
Types of Projectors
  • Industrial Laser Projectors - इस तरीके के प्रोजेक्‍टर मार्केट में सन् 2002-03 में आए थे इनके माध्यम से किसी कंपनी में प्रेजेंटेशन को आसानी से स्क्रीन पर दिखा सकते हैं, जब इस तरीके के प्रोजेक्टरों से काम कर किया जाता है तो टेमप्लेट लगाने के जरूरत नहीं होती है इन प्रोजेक्टरों की प्रोजेक्शन की एक्‍यूरेशी बहुत ज्यादा होती है इसलिए इनको ज्यादातर इन्‍डस्‍ट्रीज में इस्तेमाल किया जाता है और इनके माध्यम से तेज और स्थाई प्रोजेक्‍शन बनता है
  • Home Entertainment Laser Projectors - ये प्रोजेक्टर सबसे नए माने जाते हैं क्योंकि इनको सन् 2015 में मार्केट में उतारा गया था, ये डिवाइस किसी भी वेवलैंथ की लाइट को बना सकते हैं जिससे वीडियो या कोई इमेज आसानी से दिख सकें,इस तरीके के प्रोजेक्‍टर समय की बचत करते हैं और यूजर के ऊपर काम का प्रेशर नहीं आने देते हैं

प्रोजेक्‍टर के फायदे Advantages of Projectors

  1. Projector की मदद से किसी की भी इमेज बडी बना सकते हैं और बडी इमेजों को देखने से आंखों पर प्रेशर नहीं पड़ता 
  2. अगर घर पर प्रोजेक्टर लगाना होता है तो जगह की दिक्कत नहीं होती हैं क्योंकि प्रोजेक्‍टरों को ज्यादा जगह की जरूरत नहीं होती है
  3. प्रोजेक्टर के द्वारा दिखाई जाने वाली इमेज और वीडियो को आसानी से अंधेरे में भी देखा जा सकता है
  4. इसके माध्यम से कई कंप्यूटरों को एक साथ जोड़ने की जरूरत नहीं होती है
  5. जब प्रोजेक्टर का इस्तेमाल किया जाता है तो सभी लोगों को एक जगह खड़े होने की जरूरत नहीं होती है

प्रोजेक्‍टर के नुकसान Disadvantages of Projectors

  1. इसके माध्यम से कभी-कभी इमेज टेडी मेडी बन जाती है
  2. प्रोजेक्‍टरों की कीमत ज्यादा होने की वजह से हर व्यक्ति इनको खरीद नहीं सकता है
  3. प्रोजेक्‍टरों को समय-समय पर Maintenance की जरूरत होती है

प्रोजेक्‍टरों को मोबाइल से कनेक्‍ट कर सकते हैं Projectors can be Connected to Mobile Phones

किसी भी Android फोन को प्रोजेक्टर से जोड़ने के लिए Miracast का उपयोग किया जाता है, Miracast एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जिसको हर Android ऑपरेटिंग सिस्टम में दिया जाता है, अगर फोन Miracast को सपोर्ट किया जाता है तो सेटिंग में स्क्रीन मिररिंग ऑप्शन मौजूद होता है, जब फोन प्रोजेक्टर से एक बार कनेक्ट हो जाता है तो आसानी से उस पर कोई भी वीडियो या फिर कोई भी इमेज देख सकते हैं

Miracast को WiFi की कोई जरूरत नहीं होती है क्योंकि जब फोन को किसी प्रोजेक्टर से जोड़ना होता है तो इसमें मोबाइल फोन और प्रोजेक्‍टर के बीच वायरलेस कनेक्शन जुड़ जाता है जिसके लिए किसी भी WiFi की या फिर कोई दूसरे कनेक्शन की जरूरत नहीं होती है

अगर आप अपने लैपटॉप पर Miracast होता है तो 
  1. सबसे पहले लैपटॉप को स्टार्ट करना होगा और फिर सेटिंग पर जाना होगा
  2. इसके बाद सिस्‍टम को सिलेक्‍ट करना होगा
  3. उसके बाद डिस्प्ले को लेफ्ट साइड में सिलेक्‍ट करना होगा
  4. उसमें एक ऑप्शन दिया होता है Multiple ऑप्‍शन के नाम से जहां वायरलेस डिस्प्ले दिया होता है, Miracast Multiple ऑप्‍शन के अंदर होता है जैसे ही उस पर क्लिक किया जाता है तो लैपटॉप आसानी से प्रोजेक्टर से कनेक्ट हो जाता है 
आशा है Multimedia Projector के बारे में जो जानकारी आज आपको दी गई हैं वह आपको जरूर पसंद आई होगी अगर हां तो अपनी राय कमेंट सेक्‍शन में जरूर बताएं धन्‍यवाद 

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